धर्म के चौराहे shivam singh
धर्म के चौराहे
shivam singhऐ हवा! जा हिंद की आवाम को आवाज़ दे,
दंश से धधक रहे कश्मीर का विराग दे,
हिन्द देश है बंटा इन धर्म के चौराहों पर,
धर्म की विवेचना से हिंद को संवार दे।
राजनीति हो रही है धर्म के चौराहों पर,
खादी पहने झूम रहे हिंद की शिखाओं पर,
ये शिखाएँ मूक होकर दर्द मे भी हंसती हैं,
फलक से ज़मीन तक ये आंसू गीत कहती है,
अश्रुओं की हार को इनके गले का साज दे,
ऐ हवा! जा हिंद की आवाम को आवाज दे।