युग बदलेगा शशांक दुबे
युग बदलेगा
शशांक दुबेअच्छा है जो, क्या वाक़ई अच्छा है?
या आँखों का कुछ फ़ितूर है।
बुरा है जो, क्या वाक़ई बहुत बुरा है?
या नज़रों का ही क़सूर है।।
अच्छा होने के लिये, कितना अच्छा होना ज़रूरी है?
बुरा होना, क्या किसी बुरे की मज़बूरी है?
अच्छे-बुरे होने की, आख़िर क्या है परिभाषा?
वह ही बुरा साबित कर दे, जिसकी अधूरी हो अभिलाषा।।
असमंजस है, कैसे नज़रिया बदलेगा।
हम बदलेंगे, तब शायद युग बदलेगा।।