जीवन-गणित शशांक दुबे
जीवन-गणित
शशांक दुबेजीवन आरोही है
शैशव से बालपन
किशोर से यौवन।
आओ योग करें
खुशियों का
गम के अँधेरे
भाग करें।
प्रेम का हम
बस ऋण ले लें
आंनद, जीवन में
कई गुना करें।
क्योंकि फिर अवरोही है
युवा से प्रौढ़ावस्था
प्रौढ़ से वृद्धावस्था।