प्रीत सजन की Deeksha Dwivedi
प्रीत सजन की
Deeksha Dwivediहै कर दी प्रीत सृजन मैंने,
कई बरस किए हैं जतन मैंने।।
तेरी प्रीत की धुन में मगन हुई,
ज्यों सती शिव के लिए हवन हुई,
किया लोक-लाज से गमन मैंने,
जग लगा मुझे जोगन कहने,
लो कर दी प्रीत सृजन मैंने।।
तेरी प्रीत की डोर से बंधी हूँ मैं,
तेरे प्रेम के धन से धनी हूँ मैं,
मेरे मन में लगा तू सजन रहने,
अर्पण किया तन मन धन मैंने,
लो कर दी प्रीत सृजन मैंने।।