सब सिफ़र है शशांक दुबे
सब सिफ़र है
शशांक दुबेबजककलकुछ न अब असर है
हाँ अब-सब सिफ़र है।
मुद्रा बंदी
फिर परिवर्तन
विचलन-विचलन
अब सीधा परावर्तन
अर्थव्यवस्था हुई जर्जर
फैला बस ज़हर है
हाँ अब-सब सिफ़र है।
एक कर
अनेक कर
कर दे दे कर
जनता जाए मर
आम जनता पर
फैला बस क़हर है
हाँ अब-सब सिफ़र है।
वे गए
ये आ गए
सब्ज़बाग सबको
हरा दिखा गए
वोट बैंक की नदियाँ है
कुर्सी की बस नहर है
हाँ अब-सब सिफ़र है।
"शून्य ही सत्य है"