भय करना बेकार है रोशन "अनुनाद"
भय करना बेकार है
रोशन "अनुनाद"मुश्किल घड़ी में भी,
सब्र का दामन न छूटे,
राह कितनी हो कठिन,
पर हौसला न टूटे।
सुबह है हर रात की,
तू जानती है,
तू दासी नहीं हालात की,
जानती है।
मुश्किलें हैं तो क्या हुआ,
हौसला है,
सब्र कर, सँभल के चल,
हौसला है।
आत्मबल से बढ़ कर,
कोई बात नही,
चमकीले दिन से बढ़ कर
कोई रात नहीं।
तू ही, खुद पर,
जब विजय पा जाएगी
तब कुहासा छंट,
बाहर आ जाएगी।
न कर चिंता,
तुझमें वो शक्ति है,
बस ठान ले गर तो,
कुछ भी कर सकती है।
अपनी खूबी जान कर,
उन्हें उभरने का वक़्त दे,
अपनी कमियों को भी,
जरा सुधरने का वक़्त दे।
आत्मबल मजबूत कर,
हौसले बढ़ जाने दे,
अपने सपनों को बुलंदी की,
चोटी पर चढ़ जाने दे।
तब सारा जमाना तेरा है,
तेरी जय-जय कार है,
खुद पर कर ले भरोसा,
भय करना बेकार है।