साहित्य तरंगिणी अंकित कुमार छीपा
साहित्य तरंगिणी
अंकित कुमार छीपाप्रबुद्धता की खोज में, अखंडता की चाह में,
बढ़ाए जा कदम सतत, तू हौसलों की राह में।
उद्गमित हृदय के श्रृंग से,
अंत चेतना के गर्त में,
निर्बाध वेग से बहे,
अपनी सतह की पर्त में,
साहित्य की तरंगिणी
थमे नहीं ना मंद हो,
कलम से अपने ज्ञान की, इसे सदा प्रवाह दें ।
प्रबुद्धता की खोज में, अखंडता की चाह में,
बढ़ाए जा कदम सतत, तू हौसलों की राह में।।