दहेज DEVESH SHUKLA
दहेज
DEVESH SHUKLAसंघर्ष से भरा जीवन है नारी का, लेकिन,
दो घरों का सुख भाग्य में लायी है।
न दिया दवाब न ही रखी कोई भी कमी,
इतना हक़ माँ बाप के रूप में पायी है।
धूम धाम से जाए वो अपने नए घर,आशा करूँ
खुश रहे, सुहागन रहे वो वहाँ हर हाल में।
वापस चली गयी थी वो बारात सिर्फ दहेज के लिए,
क्या ऐसे लोग अभी भी इस संसार में हैं।
रेशम सी बनी साड़ी जो ली थी उसने हज़ारों की,
क्यूँ बिना पहने फिर वो आज बाजार में है।