दीपोत्सव Vimal Kant Pandey
दीपोत्सव
Vimal Kant Pandeyदीपों का है उत्सव आया,
आओ मिलकर दीप जलाएँ,
धूमिल हो रहे जो रिश्ते,
सींच प्रेम से,
उनमें नवजीवन लाएँ,
आओ मिलकर दीप जलाएँ।
अंधकार बढ़ रहा
जो मन में, जग में
मिलकर दूर भगाएँ,
आओ मिलकर दीप जलाएँ।
जीवन की आपा-धापी में,
घृणा से, द्वेष से,
छूट गए जो,
रूठ गए जो,
घर उनको वापस लाएँ,
मिलकर उनको गले लगाएँ,
दीपों का है उत्सव आया,
आओ मिलकर दीप जलाएँ।