इश्क बिजेंद्र दलपति
इश्क
बिजेंद्र दलपतिइश्क करते हैं जो तुमसे हम दिलबर
सिर्फ़ इश्क नहीं वो इबादत है।
दूर कैसे रहें तुम से एक भी पल
सिर्फ़ चाहत नहीं, तू मेरी आदत है॥
इस दिल की हर धड़कन में है तू,
मेरी सांसों के कण-कण में है तू।
दोनों हाथों की लकीर है तू,
मेरे माथे की तक़दीर है तू।
हाँ, जीने की सिर्फ़ एक ही वजह,
सिर्फ़ एक ही तू ज़रूरत है।
इश्क करते हैं जो तुमसे ...... ॥
देखूँ रोज़ जिसे वही ख्वाब है तू,
हर सुबह का आफ़ताब है तू।
एक प्यार भरा पैगाम है तू,
मेरा नाम है तू पहचान है तू।
किसी दौलत की ज़रूरत ही नहीं
जब पास तेरी मोहब्बत है।
इश्क करते हैं जो तुमसे ...... ॥