बचपन के दिन शशांक दुबे
बचपन के दिन
शशांक दुबेमुद्दतें हो गई चाँद देखे हुए,
वो बचपन के दिन भी हवा हो गए।
नन्ही सी तितली, वो छोटी सी चिड़िया,
अब सारे के सारे, ख़फ़ा हो गए।
वो कागज़ की नाव पे तैरा था दिल,
मेरे प्यारे घरौंदे तबाह हो गए।
बचपन के सपने तो पूरे हुए,
पर हम ही मगर अब,फ़ना हो गए।
मुद्दतें हो गई चाँद देखे हुए,
वो बचपन के दिन भी हवा हो गए।