तुम्हारे लिए रोशन "अनुनाद"
तुम्हारे लिए
रोशन "अनुनाद"जीने के लिए मशक्कत
एक दूसरे की जरूरत,
गैर से तो कभी खुद से,
थोड़ी अनबन तो होगी।
ख़ासियत तो होगी, गर
ख़ास कहते हो किसी को,
फिर ताउम्र मन में उसकी
खन-खन तो होगी।
तुम्हे भूल जाऊँ या याद रखूँ,
बड़ी कशमकश में हूँ मैं,
भूलना चाहूँ भी, उलझन तो होगी।
तुम्हारे पास था पर दूर ही रहा,
तुमने भी आज तलक कुछ न कहा,
महसूस हो के नहीं पर ये चुभन तो होगी।
कभी गुज़रे थे तुम नज़दीक से,
देख न पाया तुम्हे ठीक से,
पर आज़ भी ख़ुशबू की महक,
अहसास की सिहरन तो होगी।
न तुमने पुकारा मैंने भी आवाज़ न दी,
कभी अपनी चाहत को परवाज़ न दी,
रोशनी गर जज्बातों की नहीं दरमियाँ,
फिर मुमकिन है कोई नरमी कोई सीलन तो होगी।
उड़ गई बुलबुल गुलिस्तां खामोश है,
चहक से फिर भी फ़िज़ाएँ मदहोश हैं,
तू नहीं तो क्या, तेरी ताज़गी अहले चमन तो होगी।
रोज़ आता हूँ तेरे लिए, तू न आए तो क्या,
हर दम चाहता हूँ तुझे, तू न चाहे तो क्या,
मेरी बेपनाह आशिकी से
तुझको भी जलन तो होगी।