देश प्रेम Nishtha Singh
देश प्रेम
Nishtha Singhतुझ पर अर्पित देश की माटी केसरिया रंग आज है,
तू ही मेरा सार साँवरिया तू ही सर का ताज है,
तुझ पर अर्पित देश की माटी केसरिया रंग आज है।
जिस की धुन पर पगली होकर मर्दानी मिट जाती है,
जिस पर नाच-नाच कर मीरा दीवानी हो जाती है,
वही सुनाती हूँ मैं फिर से, धुन ढपली वो साज़ है,
तुझ पर अर्पित देश की माटी केसरिया रंग आज है।
तुझ पर अर्पित देश की माटी केसरिया रंग आज है,
तू ही मेरी जान तिरंगे तू ही सर का ताज है।