अधखिला चाँद  रोशन "अनुनाद"

अधखिला चाँद

रोशन "अनुनाद"

सुनहरा अधखिला चाँद,
धीमी चांदनी,
आज छत पर
एक साथ,
उतर आए जाने
कितने चाँद।
 

सुरीले बेबाक़
गुनगुनाते, चहकते,
कुछ तारों के साथ
महकते खुशबू लिए,
सबके अपने अपने,
चाँद, तारे,
सारे के सारे,
चुहल बाजी करते,
खिलखिलाहट से
नीरव चाँदनी की छटा
सौ गुना बढ़ जाती,
ढोलक की थाप,
बेखबर, एक चकोर
अपने चाँद को खोजता,
कितने सारे चाँद के बीच,
कुछ-कुछ तनहा,
पर आश्वस्त,
उसका चाँद भी,
धरती पर,
खुशगवार बनाता
उसका हर पल हर लम्हा,
सभी की तरह।।

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