हम किसके dik jajo
हम किसके
dik jajoबचपन से ही पाला है नाज़ों से,
अपने से ज्यादा, लड़कों से कम,
डर से सुलाया, भय से उठाया,
लोगों के डर से ब्याह हमारा रचाया है जल्दी,
खुशियों के मौकों में जाता है छुपाया हमें,
दर्द के अवसर पर हम ही कोसने का हैं कारण बनते,
बाहर निकलने पर सवालों की धारा,
न निकलने से बेकार होने का जुर्माना,
हो पुस्तक हाथ में, कहते हैं शान हैं ये लड़कों की,
माँगे रंग-बिरंगी चीज़ें, इलजाम हैं लगती माँ के आंचलों को,
पैदा क्यों हुई कहते चुकते नहीं ये,
लाडो है, रानी है तू हमारी,
अगले दिन घर की कलंक है तू,
रोने पर आँसू नहीं पोंछ, होती हैं फरमाइश सुनाने की,
हँसते-हँसाते पर, लगा रहता है डर लोगों के कहने का,
बेटी हूँ माँ-बाप की, प्यारी हूँ अपने भाई की,
यह सोच दिल पिघल जाता हमारा,
होती हैं शेरनी लड़कियाँ, बिन कहे रोती कहने पर हँसे ही हँसाती लड़कियाँ।