ज़िन्दगी एक सफ़र  NEGI HUKMA MEHTA

ज़िन्दगी एक सफ़र

NEGI HUKMA MEHTA

ज़िन्दगी एक सफ़र है,
इस ज़िन्दगी मुश्किलें तो हर डगर हैं।
 

चलने को तैयार तू अगर है,
ज़माने को छोड़ फ़िर मौत की भी क्या फिकर है।
 

सीख ले चीटियों की तरह आगे बढ़ना,
सीख ले अगर लहरों सा तेज़ चलना,
छोड़ सोचना कि दुनिया क्या सोचेगी,
छोड़ दे अगर कि मंजिल मिलेगी या नहीं।
 

तू बस अपनी डगर चल तुझे मिलेगा क्या नहीं,
बनाने होते हैं रास्ते आंसा खुद बनते नहीं।
 

चलने वाले राहों में अपनी, इंतज़ार किसी का किया करते नहीं,
जो समझ जाते हैं इशारा उस खुदा का,
अपनी किस्मत को लिखते हैं वहीं,
अपनी किस्मत को लिखते हैं वहीं।

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