सिर्फ तुम  शशांक दुबे

सिर्फ तुम

शशांक दुबे

तुम कठिन हो, तुम सरल हो,
तुम ही अमृत, तुम गरल हो।
 

ऊपर से भले कठोर तुम,
अंतर्मन से पर तरल हो,
तुम कठिन हो, तुम सरल हो.....
 

प्रचंड अग्नि सा क्रोध तुम्हारा,
मन तुम्हारा ज्यों निर्मल जल हो,
तुम कठिन हो, तुम सरल हो.......
 

तुम आधार हर समस्याओं के,
तुम ही लेकिन उनके हल हो,
तुम कठिन हो, तुम सरल हो.......
 

तुम से ही हारा हूँ लेकिन,
तुम ही तो मेरी पहल हो,
तुम कठिन हो, तुम सरल हो.......

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