स्मृतियों का सावन  Utkarsh Pandey

स्मृतियों का सावन

Utkarsh Pandey

इठलाता, इतराता फिर आया
स्मृतियों का सावन,
थामे संध्या की हथेली
नमी मेरे आँखों में खेली।
 

फिर ढूँढती हूँ तेरा स्पर्श
वो मधुमय दिन
वो मुस्काता हर्ष।
 

फिर ढूँढती हूँ तेरा साथ
वो प्रीतिमयी मनभाती बात,
वो मेरे हाथों में तेरा हाथ,
वो मेरे हाथों में तेरा हाथ।

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