१२ वीं कक्षा  RATNA PANDEY

१२ वीं कक्षा

RATNA PANDEY

अभी ग्यारहवीं पास भी नहीं की थी कि बारहवीं की ट्यूशन लग गई,
सुबह ५ बजे से लेकर रात १० बजे तक ड्यूटी जैसी लग गई।
बोझ इतना सह नहीं पाते बच्चे, तनाव इतना झेल नहीं पाते बच्चे,
पता नहीं पढ़ते-पढ़ते कब आँख उसकी लग गई।
अभी ग्यारहवीं पास भी नहीं की थी कि बारहवीं की ट्यूशन लग गई।
 

भागमभाग सुबह से शाम मिलता नहीं ज़रा आराम, ऊपर से उम्मीदों का खतरा,
अगली कक्षा के एडमिशन का खतरा।
क्या होगा रिजल्ट हमारा, सोचता रहता वो बेचारा,
इसी तनाव में आँख उसकी लग गई।
अभी ग्यारहवीं पास भी नहीं की थी कि बारहवीं की ट्यूशन लग गई।
 

पढ़ते-पढ़ते वह थक जाते, थोड़ी देर टीवी देखने आते,
पीछे से फिर माँ चिल्लाती, चलो कनेक्शन हैं कटवा देते,
जबरन पढ़ने बैठा देते।
नींद ना पूरी होने से, आँख उसकी लग गई।
अभी ग्यारहवीं पास भी नहीं की थी कि बारहवीं की ट्यूशन लग गई।
 

माता-पिता से विनती है, मत डालो प्रेशर इतना, कि वह सह न पाएँ।
मत बाँधों उम्मीद इतनी, कि पूरी कर ना पाएँ।
एक-एक नम्बर की खातिर, जीना उनका दूभर न करो,
कहीं वह थक न जाएँ, देखना कहीं भटक न जाएँ।
चिराग हैं हमारे घर के, प्रकाशवान होने दो उन्हें,
देखना कहीं वह बुझ ही ना जाएँ।
बुझ गए जो दीपक, अँधेरा हो जाएगा।
अश्रु रूपी तेल चाहे जितना भी डालेंगे,
फिर कभी वह रोशन हो ना पाएँगे।
फिर कभी वह रोशन हो ना पाएँगे।

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