बचपन  VIKAS UPAMANYU

बचपन

VIKAS UPAMANYU

याद आता है मुझे, मेरा वों बचपन,
हल्की-हल्की सर्द हवाएँ, और वो पुरानी अचकन।
 

वो नंगे पाँव घर से भागना, दोस्तों संग मस्ती,
कोई मुझे लौटा दे, वो सावन की हस्ती।
देखता हूँ जब यूँ खेलते बच्चों को, रोता है मेरा मन,
क्योंकि याद आता है मुझे, मेरा वो बचपन,
हल्की-हल्की सर्द हवाएँ, और वो पुरानी अचकन।
 

कर शरारत माँ के आँचल में यूँ छुप जाना,
पापा से मेरा वों नज़रें चुराना।
दादी की कहानियों से झूमता था मेरा तन-मन,
याद आता है मुझे, मेरा वो बचपन,
हल्की-हल्की सर्द हवाएँ, और वो पुरानी अचकन।
 

वो दिन में खूब सोना, रात में अठखेलियाँ करना,
बिना मतलब भाई-बहनों को सताना,
कभी रूठना तो कभी मनाना।
याद आता है मुझे, मेरा वो बचपन,
हल्की-हल्की सर्द हवाएँ, और वो पुरानी अचकन।
 

वो माँ का मुझे यूँ आँचल में भर लेना, वो दादी का दुलार,
प्रफुल्लित हो उठता था, जिससे मेरा तन-मन,
याद आता है मुझे, मेरा वो बचपन,
हल्की-हल्की सर्द हवाएँ, और वो पुरानी अचकन।

अपने विचार साझा करें




1
ने पसंद किया
1402
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com