होली-विरह शशांक दुबे
होली-विरह
शशांक दुबेराधा रानी बरसाने में
कान्हा है वृन्दावन में,
बोलो कैसे होगी होली
अबके घर के आँगन में।
रूठी है अब तो मैया
सहमी है प्यारी गैया,
रंग उड़ेगा धूम मचेगी
पर मज़ा न होगा फागन में,
बोलो कैसे होगी होली
अबके घर के आँगन में।
कान्हा मोरा हिया न लागे
तुम बिन मोरा जिया न लागे,
रंग भले होली में कितने
कोई न चढ़ेगा इस मन में,
बोलो कैसे होगी होली
अबके घर के आँगन में।