उड़े रंग गुलाल शशांक दुबे
उड़े रंग गुलाल
शशांक दुबेपुष्प उड़े, केसर उड़े,
उड़े रंग गुलाल,
राधा मारे पिचकारी
छिप गए रे नंदलाल।
छिप गए रे नंदलाल
ढूंढे राधा रानी,
अमर प्रीत की
रचते दोनों अमर कहानी,
बाजे है मृदंग
मधुर है सुर और ताल,
राधा मारे पिचकारी
छिप गए रे नंदलाल।
मधुर है सुर और ताल
गोपियाँ धुन में खोवे,
नाच रही हो मगन
उन्हें कुछ होश न होवे,
भंग बिना सब मस्त हैं
मचा रखा धमाल,
राधा मारे पिचकारी
छिप गए रे नंदलाल।
मचा रखा धमाल
सबकी अंगिया गीली,
कोई हुई हरी कोई है पीली,
राधा रानी के रंग दिए
कान्हा ने दोनों गाल,
राधा मारे पिचकारी
छिप गए रे नंदलाल।