नारी की चाहत  RATNA PANDEY

नारी की चाहत

RATNA PANDEY

राधा बन प्यार बरसाती हूँ मैं,
मीरा बन ज़हर भी पी जाती हूँ मैं,
सीता बन अपनी लाज बचाती हूँ मैं,
उर्मिला बन त्याग और बलिदान सिखाती हूँ मैं,
काली बन राक्षसों का संहार करती हूँ मैं,
और दुर्गा बन हर मुश्किल से लड़ती हूँ मैं।
 

नारी हूँ हर गुण अपने अंदर संजोकर रखती हूँ मैं,
भगवान ने भी दिया है मान मुझे,
बराबरी का दिया है स्थान मुझे,
किन्तु इंसान आज भूल गया,
नारी की इज़्जत को मिट्टी में रोंद गया।
कोई पति बन शासन चलाता है,
कोई भाई बन हुक्म चलाता है,
कोई जन्म लेते से मृत्युलोक पहुँचाता है,
कोई वासना की निगाहें गड़ाता है,
और कोई तिरस्कृत कर मुझे अपनी शान समझता है।
 

ऐ ज़िन्दगी मान दे मुझे,
नहीं हूँ कम पुरुष से किसी भी क्षेत्र में मैं,
ऐ ज़िंदगी बराबरी का हक़ और सम्मान दे मुझे,
कोख़ में रहता है आँचल में मेरे पलता है,
ममता के साए में जवाँ होता है,
ऐ ज़िंदगी पुरुष की हर धड़कन को यह एहसास दे,
कि नारी से ही अस्तित्व है,
नहीं रह सकता पुरुष नारी के बिन यहाँ,
नहीं जी सकता पुरुष नारी के बिन यहाँ।
है सिर्फ इतनी ही चाहत,
ऐ ज़िंदगी मान दे मुझे,
ऐ ज़िंदगी बराबरी का हक़ और सम्मान दे मुझे।

अपने विचार साझा करें




3
ने पसंद किया
1952
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com