ज़िन्दगी Deepak
ज़िन्दगी
Deepakकभी आशा है,
कभी निराशा है,
भागती सी ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी एक तमाशा है।
व्यर्थ में सब यूँ भाग रहे हैं,
चलो छोड़ो कोई बात नहीं है,
यहाँ किसी को भी जीवन का,
सत्य अर्थ ज्ञात नहीं है।
कुछ अभी हासिल हुआ है,
कुछ की निरंतर खोज है,
ज़िन्दगी में मुश्किलें बहुत हैं,
इनसे संभलना रोज़ है।