आत्मबल Avnish Kumar
आत्मबल
Avnish Kumarतुम नहीं जानते कि तुम क्या हो,
ये दुनिया ज़मीं तो तुम आसमाँ हो।
फिर क्यों धमनियों में रक्त जमा हो,
क्यों ना इनमें चपला का सा प्रवाह हो।
अब बरस जाओ बनकर अमृत ज्ञान का,
भर दो लोगों के जीवन में रस प्यार का।
छा जाओ इस दुनिया पर ऐसे,
कि आ गया हो आसमाँ ज़मीं पर जैसे ll