बस प्यार भर दो शशांक दुबे
बस प्यार भर दो
शशांक दुबेतोड़ दो टुकड़े कर दो
तार-तार कर दो,
धर्म, जाति, वादों के फेर में
ये गुनाह हर बार कर दो।
रोटी सेंकने सब जायज़
ऐसा इश्तिहार कर दो,
वोटबैंक के झगड़े में
बस हर बार कर दो।
बेमतलब के झगड़ों में
मानवता शर्मसार कर दो,
तोड़ दो टुकड़े कर दो
तार तार कर दो।
मनुज की जो औलादें हो
तो हँसता घर-संसार कर दो,
पुण्यभूमि भारत में जन्में
माँ को भी कुछ प्यार कर दो।
जोड़ लो एक कर लो
बस प्यार भर दो।
