मत करो बरबाद देश की जवानी को RATNA PANDEY
मत करो बरबाद देश की जवानी को
RATNA PANDEYतलाश रहे हैं आज हम उन फलों को,
जो रस भरे सेहतमंद होते थे।
किन्तु लद गए वह दिन,
जब अमृती तरबूज मिलते थे,
कहीं जामुन, कहीं अमरुद,
कहीं रंग बिरंगे सेब गुणों से भरपूर मिलते थे।
फलों का सेवन दिलों को खूब भाता था,
जूठे बेर खाकर शबरी के,
राम का मन फूला ना समाता था।
नहीं अब राम, नहीं शबरी,
ना ही उन फलों का ज़माना है,
लालच और स्वार्थ ने फलों को भी ज़हरीला बनाया है।
रसायन शास्त्र पढ़कर इन्सान ने ऐसा विष बनाया है,
एक ही रात में फलों के आकार को दुगना बनाया है,
डालकर रसायन ज़रूरत से ज़्यादा फलों को मीठा बनाया है।
तरस आता है नई पीढ़ी को हम क्या खिलाएँगे,
बाल्यावस्था से ही उनके लहू में ज़हर मिलाएँगे।
ज़हर बनाने वालों मत करो बरबाद देश की जवानी को,
तरस खाओ उन नादानों पर,
जो अनभिज्ञ हैं फलों के असली स्वाद से,
फलों के असली लाभ से।
इन्सान ने भगवान को भी नहीं छोड़ा,
प्रसाद में भी अपने स्वार्थ का ज़हर है घोला।
रुग्णावस्था में फल वरदान होते हैं,
रोगी के लिए अमृत का स्थान लेते हैं।
लद गए अब वह ज़माने,
जब फलों के आहार से लोग रोगमुक्त होते थे,
किन्तु अब यह ज़माना है कि,
फलों के आहार से लोग रोगलिप्त होते हैं।
हम कहाँ से कहाँ आ गए,
लालच के वशीभूत होकर,
फलों को ऐसा बना गए,
जो धीरे-धीरे डस रहे हैं,
और लहू में विष भर रहे हैं।
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वर्तमान समय में हमें और हमारे बच्चों को जो फल खाने मिल रहे हैं, वह हमें अंदर से खोखला कर रहे हैं। लालच के वशीभूत होकर कुछ लोग फलों में रसायन का प्रयोग कर उन्हें ज़हरीला बना रहे हैं। इस कविता के माध्यम से मेरी ऐसे सभी लोगों से विनती है कि कृपया फलों को उनके प्राकृतिक स्वरुप में ही रहने दें।