वक्त रहते पर मार SUBRATA SENGUPTA
वक्त रहते पर मार
SUBRATA SENGUPTAजा, उड़ जा, मत कर इंतजार,
वक्त रहते पर मार, मार पर मार।
मत कर इंतजार,
अनजान राह समझकर मत डर,
जा, उड़ जा मत कर इंतजार,
वक्त रहते पर मार, मार पर मार।
जीवन की अनजान राहों का,
कोई होता नहीं है जानकार,
जीवन पथ में उड़ते-उड़ते बनते हैं समझदार।
जा, उड़ जा, मत कर इंतजार,
वक्त रहते पर मार, मार पर मार।
अनजान राह समझकर मत डर,
चाहे राह में भय के बादल हों घनघोर,
बाधाओं के पहाड़ हों तेरे चारों ओर,
साहस के पर लगाकर अपनी उड़ान भर।
वक्त रहते पर मार, मार पर मार।
निर्भय होकर पर मारते जा,
सभी बाधाओं को पार करते जा।
अनजान राह से तेरा क्यों है इतना डर?
शायद तुझे मालूम नहीं है,
सारा संसार ही है तेरा घर।
जा, उड़ जा, मत कर इंतजार,
वक्त रहते पर मार, मार पर मार।
भय के बदल छँट जाएँगे,
बाधाओं के पहाड़ हट जाएँगे।
जीवन की राह जानने लगोगे,
जीवन की राह से होगी तेरी पहचान,
जा, उड़ जा, मेरा कहना मान।
वक़्त रहते उड़ान भरना,
यही जीवन की है शान,
जा, उड़ जा मेरा कहना मान।