वो साथ तुम्हरा चाहता है Anil Shukla
वो साथ तुम्हरा चाहता है
Anil Shuklaउस व्याकुल, निराश, विक्षित ह्रदय को,
मृदु भाषाई गीत सुनांना चाहता है,
इस हताश जीवन संग तुम्हारा चाहता है,
वो साथ तुम्हारा चाहता है।
है एक गीत उसके सपनों में तुम्हारा,
मन उन गीतों की डोर संग उड़ना चाहता है,
वो उस डोर संग बंधन तुम्हारा चाहता है,
वो साथ तुम्हारा चाहता है।
डर है कहीं डोर जीवन का साथ न छोड़ दे,
ह्रदय उस व्यथा से मचलता है,
इस निराशा से लड़ने को वो संग तुम्हारा चाहता है,
वो साथ तुम्हारा चाहता है।
कितना मोहक है साथ तुम्हारा,
पंछी रोज़ ये राग सुनाता है,
कहीं टूट न जाए सपना ,
उन सपनों में वो साथ तुम्हारा चाहता है,
वो हाथ तुम्हारा चाहता है।