वक्त Anamika Sunda
वक्त
Anamika Sundaवक्त ने इस कदर बरबाद किया है कि
मरहम लगाने की उम्मीद ना अपनों से है ना परायों से,
जीतने का ख्वाब देखने वाली ये आँखें,
थक गयी हैं हार पे आँसू बहा के।
कोई नया ख्वाब ना देख ले,
ये सोच अब डराते हैं आँखें मूंदने से,
दिल के खिड़की दरवाज़े इतने कस के बंद किए हैं,
कि ना किसी के खटखटाने की आहट सुनाई पड़ती है।
ना किसी साए का इंतज़ार करने का एहसास,
खुद से ही खुद को जुदा कर बैठे हैं,
किसी और वजूद को ढूँढने की आस नहीं,
डरते हैं उस लम्हे से कि कोई और
इन बंद दरवाजों से पार झाँकने की कोशिश ना करे।
गर जो कभी इन्हें जोर जबरदस्ती से तोड़ भी दिया,
तो सिवाय खालीपन और अंधेरे के कुछ ना मिलेगा,
और अफसोस तो इस बात का है
कि हमें ये जताते हुए जरा भी अफसोस ना होगा,
हमारा सफर है, मंजिलें भी हमारी,
जो मिल गई तो खुशकिस्मती,
वरना हमारी तन्हाई के साथ गुजरे हुए
ये लम्हों का सफर भी बहुत खूबसूरत है,
साँसें ले खुद को जिंदा रखने के लिए।