वीर भगत सिंह Akshat Mishra
वीर भगत सिंह
Akshat Mishraवो अंग्रेज़ गलत थे समझ गए,
वो वीर भगत संग उलझ गए।
वो उलझे घर के जयचंदो से,
कुछ राजनीती के फंदों से।
अगर उसूल कुछ टूटे होते,
कुछ राजनीती को भूले होते,
आज़ाद तो फिर भी होना था,
उस माँ को न फिर रोना था।
भारत माता को कर प्रणाम
कुछ चढ़ गए थे सूली पर,
कुछ दबे रहे चुप्पी साध कर
राजनीती की खोली पर।
वो देख के जलियावाला बाग
दिल में उठी थी एक आग,
चलो आज़ाद समझाएँ इनको इनकी भाषाओ में,
एक बार तो खरे उतरे इस देश की आशाओं में।