हौसला  Tuhin Tuhin Harit

हौसला

Tuhin Tuhin Harit

हौसले में कमी फ़िर भी आती है
ज़िन्दगी जब रूठ सी जाती है,
या उम्मीद नज़र नहीं आती है
तन्हा सी जुस्तजू रह जाती है।
 

कोई अपना छोड़ देता है जब
माँझी नाव मोड़ देता है जब,
जब टूटके बिखरता हूँ मैं आसमान से
और लाखों शिकायतें होती हैं जहान से।
 

मेरी हिम्मत टूट सी जाती है
कोशिशें छूट सी जाती हैं,
रूह खाली सी हो जाती है
हौसले में कमी फ़िर भी आती है।
 

पर फ़िर मैं अपने हालात देखता हूँ
ज़िंदगी से जूझती कायनात देखता हूँ,
कोशिशों में उलझे कुछ क़तरे हैं
ख्वाबीदा ही जंग में उतरे हैं।
 

ये मज़दूर भी अपने गाँव जाएगा
अपने बच्चे से मिलकर मुस्कराएगा,
ये चींटी गुड़ भी खा लेगी
सौ बार गिराकर भी उठा लेगी।
 

इन्हें देखकर फ़िर लड़ने का मन करता है
किसी अपनी सी ज़िद पर अड़ने का मन करता है,
गहरी अँधेरी रात के बाद ही तो आफ़ताब आएगा
जिसका नाम ज़िंदगी हो, उसे ही तो जिया जाएगा।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1576
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com