हौसला Tuhin Tuhin Harit
हौसला
Tuhin Tuhin Haritहौसले में कमी फ़िर भी आती है
ज़िन्दगी जब रूठ सी जाती है,
या उम्मीद नज़र नहीं आती है
तन्हा सी जुस्तजू रह जाती है।
कोई अपना छोड़ देता है जब
माँझी नाव मोड़ देता है जब,
जब टूटके बिखरता हूँ मैं आसमान से
और लाखों शिकायतें होती हैं जहान से।
मेरी हिम्मत टूट सी जाती है
कोशिशें छूट सी जाती हैं,
रूह खाली सी हो जाती है
हौसले में कमी फ़िर भी आती है।
पर फ़िर मैं अपने हालात देखता हूँ
ज़िंदगी से जूझती कायनात देखता हूँ,
कोशिशों में उलझे कुछ क़तरे हैं
ख्वाबीदा ही जंग में उतरे हैं।
ये मज़दूर भी अपने गाँव जाएगा
अपने बच्चे से मिलकर मुस्कराएगा,
ये चींटी गुड़ भी खा लेगी
सौ बार गिराकर भी उठा लेगी।
इन्हें देखकर फ़िर लड़ने का मन करता है
किसी अपनी सी ज़िद पर अड़ने का मन करता है,
गहरी अँधेरी रात के बाद ही तो आफ़ताब आएगा
जिसका नाम ज़िंदगी हो, उसे ही तो जिया जाएगा।