माँ का जन्मदिन SHUBHAM KALA
माँ का जन्मदिन
SHUBHAM KALAमेरे जीवन का जो आरम्भ है, कोख में जिसकी जीवन का सार है,
अस्तित्वहीन जिसके बिना मेरे जीवन का एक भी पल, वो मेरी माँ है।
मेरी चाहत का जो जहाँ है, मेरी जमीन का जो आसमाँ है,
कभी खत्म नहीं होता निःस्वार्थ दुलार जिसका, वो मेरी माँ है।
बचपन से मेरी हर सफलता के पीछे, शख्श जिसका बड़ा योगदान है,
जिसकी प्रेरणा करती मुझे प्रेरित हमेशा, वो मेरी माँ है।
अक्षर से ज्ञान अनंत का देकर, संस्कारों से अपने जिसने मुझको सींचा है,
आत्मविश्वास की ज्योति से मेरे जीवन को जगमग जो करती, वो मेरी माँ है।
चाहतें इस अनंत ब्रह्माण्ड की, हर हाल में जो पूरा करती है,
मेरी खुशी के लिए अपने गमों को जो छुपाती, वो मेरी माँ है।
छुपाने से भी नहीं छुपता, न जाने क्या जादू करती है,
खामोश लबों से जो भाँप लेती सब कुछ, वो मेरी माँ है।
जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी, हर लम्हे में साथ खड़ी रहती है,
दृढ़ इच्छाशक्ति का जो निरंतर मेरी रगों में संचार करती, वो मेरी माँ है।
नौकरी की व्यस्त दिनचर्या के बाद, गृहणी की भूमिका निभाती है,
घर की बागडोर जो अपने हाथों में संभाले, वो मेरी माँ है।
पिताजी के साथ ही, भाई-बहन का भी विशेष ध्यान रखती है,
ऐसे भाई-बहन जैसे अनमोल रत्न दिए जिसने मुझे, वो मेरी माँ है।
उपहार क्या दूँ इस अवसर पर, जो मेरी जीवनदायिनी का दर्जा रखती है,
जन्म दिवस पर समर्पित जिसके चरणों पर यह पंक्तियाँ, वो मेरी माँ है।
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कविता के माध्यम के माँ के जन्मदिवस के अवसर पर माँ की निःस्वार्थ ममता को दर्शाया गया है जो उम्र के किसी भी पड़ाव पे कम नहीं होती, निरंतर अपने बच्चों के जीवन की ख़ुशी एवं प्रगति के लिए अपना जीवन न्योछावर कर देती है। अतः हमारा भी कर्तव्य बनता है कामयाब होने के बाद अपने जीवन से समय निकालकर उनकी (माता-पिता) सेवा में समर्पित कर दें।