हसरत VIKAS UPAMANYU
हसरत
VIKAS UPAMANYUयू तो इतनी आसान नहीं है
ज़िन्दगी हमारी,
हर पहलू में गम है,
कह दो निकले,
दिल में क्यों छिपी बैठी है
हसरत तुम्हारी।
जलाओ आज तुम
दरवाजे पर दीपक हमारे,
पर क्या करें,
वक्त से पहेले आते नहीं आने वाले।
ये जहाँ भी मिला,
वों जहाँ भी मिला,
हादसा ये भी कम नहीं हुआ ‘उपमन्यु’
कि वो कहीं न मिला।
जी रहा हूँ अब कैसे
ये न मुझसे पूछो यारों,
वो ही वो बसा है
अब तो दिल की गहराईयों में,
जो मिल जाएगा वो जीवन में
इसकी खुशी न पूछो मुझसे,
जीता हूँ कैसे तेरे बगैर
अब ये न मुझसे पूछो यारों।
यूँ तो इतनी आसान नहीं है
जिंदगी हमारी,
हर पहलू में गम है,
कह दो निकले
दिल में क्यों छिपी बैठी है
हसरत तुम्हारी।