माँ  Tushar Sapra

माँ

Tushar Sapra

माँ जब मैं कहीं बाहर चला जाऊँगा तेरी याद बहुत आएगी,
तेरी तस्वीर देखकर आँखें भर आएँगी।
 

तेरे को कुछ हो गया तो मैं खुद को रोक नहीं पाऊँगा,
जहाँ तू जाएगी वहीं मैं चला आऊँगा।
 

तेरे हाथ का खाना नहीं वह तो है प्यार,
तुझे कुछ काम होगा तो मैं हरदम रहूँगा तैयार।
 

बदनसीब होते हैं वह जिनके पास माँ नहीं होती,
जिनके पास होती हैं उनको उसकी कदर नहीं होती।
 

माँ खुद गीले पर सोएगी हमें सूखे पर सुलाएगी,
माँ को जितनी मर्जी भूख हो फिर भी पहले हमें खाना खिलाएगी।
 

माँ की ममता होती है न्यारी,
ऐसे ही तो चल रही है दुनिया सारी।
 

माँ तूने हमें प्यार दिया,
फिर भी हमने तेरा निरादर किया।
 

माँ तेरे जैसा कोई और नहीं,
मैं गलत तू सही।

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