याराना  RATNA PANDEY

याराना

RATNA PANDEY

याराना था बड़ा प्यारा,
नहीं था ख़ून का रिश्ता,
नहीं था धर्म एक जैसा,
अलग मंदिर, अलग मस्जिद,
अलग गुरुद्वारा और गिरिजा था,
नहीं थी दुश्मनी कोई,
नहीं खुदगर्ज़ी का ज़माना था।
हाथ में हाथ रहते थे, गले प्यार से मिलते थे,
कोई हिंदू, कोई मुस्लिम, कोई पंजाबी, कोई सिंधी
कभी संग मिल चर्च जाते थे,
कभी होली जलाते थे,
सेवैयाँ खाने का दिन कभी भूल ना पाते थे,
दिवाली पर पटाखे मिलकर जलाते थे,
पतेती, बैसाखी और ओनम की खुशियाँ
उत्साह से मनाते थे।
 

नहीं था द्वेष आपस में,
एकता का पाठ बचपन से ही
दिलों में समाया था,
बड़ी हिम्मत रहती थी जिगर में
जब साथ चलते थे,
ख़ून बहता किसी एक का गर
दूजा अपना रक्त देकर बचाता था,
जात पात का ज़हर सच्ची दोस्ती को
छू ना पाता था।
 

दोस्ती का यह पाठ अब
संदेश बनाना है,
देश के हर बच्चे के दिल में
यही भाव जगाना है।
करो दोस्ती ऐसी कि मिसाल बन जाए,
दिलों से प्यार ही बरसे
नफ़रत ना पनप पाए,
नहीं जाति कोई, नहीं धर्म,
तुमको फिर जुदा कर पाए,
दोस्ती में सिर्फ अनेकता में
एकता नज़र आए,
दोस्ती और भाईचारे से भरा
हिंदुस्तान नज़र आए।

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