देश अब जलने लगा है  शशांक दुबे

देश अब जलने लगा है

शशांक दुबे

मज़हब भी सियासी-गुलाम लगने लगा है,
राष्ट्र, राष्ट्रवादियों से ही अब छलने लगा है,
नफरतों की आग का जो धुंआ उठा है,
देश हाँ! सच में ही अब जलने लगा है।
 

खून ही पड़ा इधर है, खून ही पड़ा उधर,
लाशों पर लाशें पटी है, जिस तरफ डालो नज़र,
बेजान कुर्सी के लिए, अपना ही खलने लगा है,
देश हाँ! सच में ही अब जलने लगा है।
 

हाँ! छोटे टुकड़े देश के आखिर हुए हैं,
वर्गों में यूँ इस तरह हम-सब बटें हैं,
ख़्वाब दुश्मन-मन में यूँ पलने लगा है,
देश हाँ! सच में ही अब जलने लगा है।
 

भावनाएँ, बुद्धि को मात दे रही हैं,
सिद्धियाँ भी अब न साथ दे रही हैं,
बुद्धिजीवी इसमें ही अब ढलने लगा है,
देश हाँ! सच में ही अब जलने लगा है।

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