अबला या सबला  ABHISHEK KUMAR GUPTA

अबला या सबला

ABHISHEK KUMAR GUPTA

तू बोल कब तक तू ये सहेगी,
ताउम्र क्या तू यूँ ही लुटती रहेगी?
 

तुझे कुचलने को सब खड़े हैं,
तुझे मसलने को सब पड़े हैं,
तू अबला बनकर जी रही है,
बता तू सबला बन कब उठेगी?
 

तू बोल कब तक ...
 

वो आसिफा हो या निर्भया हो,
सभी के कातिल हैं अब तक जिंदा,
बता तू काली का रूप धरके,
कब इन सभी का विनाश करेगी?
 

तू बोल कब तक ...
 

यहाँ सभी बेटियाँ डरी हैं
कि कौन उनको कब नोच खाए,
आँखों में जो खौफ है आज उनके,
बता तू कब उन्हें बेखौफ करेगी?
 

तू बोल कब तक ...
 

नही है तेरा यहाँ पर कोई,
तू किस सहारे को तक रही है,
ये दर्द तूने खुद ही सहा है,
ये युद्ध भी खुद तू ही लड़ेगी।
 

तू बोल कब तक ...
 

तू नारी हैं नारी तेरे आगे
खुदा भी सर को झुका चुके हैं
अगर तू अब भी नही जगी तो
कल तेरी अस्मत भी लुट जाएगी
 

तू बोल कब तक ...
 

बहुत हुआ अब तो तू दिखा दे
वो रूप शक्ति का आज सबको,
मिटा दे हस्ती इन पापियों की
तभी तेरी आबरू बचेगी।
 

तू बोल कब तक ...

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