तलाश Atul Mani Tripathi
तलाश
Atul Mani Tripathiबीते लम्हों का एक शहर मैं ढूंढता हूँ,
खोई हुई राहों में तेरा घर मैं ढूंढता हूँ,
क्या पता फिर कभी मुलाकात हो ना हो,
इन कटी फटी लकीरों में एक हमसफ़र मैं ढूंढता हूँ।
कुछ इस तरह ज़िन्दगी यूँ बदल गई,
कि साँस लेने की फुरसत भी अब खल गई,
और बचा के रखी थी जो दुनिया एक ख्वाबों की ,
वो भी शायद ज़िन्दगी के हालातों में जल गई।
अब तो यूँही गुज़रता है वक़्त इन यादों को समेटने मेंं,
बीते कल और आने वाले पल के साथ खेलने मेें,
पर अब भी ज़िन्दा है उम्मीद सब बदलने की,
शायद नए सवेरे की एक सहर मैं ढूंढता हूँ।