वो नौ महीने RATNA PANDEY
वो नौ महीने
RATNA PANDEYमिल गई खुश खबर कोई आने वाला है,
तन नाच उठा मन नाच उठा,
हो गया गदगद परिवार बड़ा,
हो गई ख़ास फिर घर में वह,
सब ध्यान बड़ा रखते उसका।
हलचल थी उसके भी मन में,
भगवान ने मुझे इस काबिल बना दिया,
दूँगी जन्म किसी को मैं,
दुनिया में लाऊँगी कोई नया।
खुद पर नहीं दिया था ध्यान कभी,
पर अब हर पल रखती ध्यान बड़ा,
चलती भी है संभल-संभल कर
उसे चोट ना लग जाए कहीं।
नहीं किया कोई भी व्रत
वो भूखा ना रह जाए कहीं,
जो पसंद नहीं था वह भी खाया
कोई कमी ना रह जाए कहीं।
धड़कन उसकी सुनती तो
मन प्रफुल्लित हो जाता,
अंदर होता दंगल जो
मस्ती का एहसास दिला जाता।
बॉक्सिंग करता कभी-कभी,
फुटबॉल खेलता कभी-कभी,
ऐसे गुदगुदे अनुभव माँ
को दे देता कभी-कभी।
आराम से रहता माँ के घर में
धड़कन सुनता हर घड़ी,
फिर जब वह दुनिया में आता
माँ के ही आँचल में सुकून है पाता।
ये नौ महीने माँ की पूरी
ज़िंदगी बदल देते हैं,
और उसे एक नई ज़िम्मेदारी
का एहसास करा देते हैं।
स्त्री को भगवान से मिला है यह वरदान,
गोद भरी रहे दिया है ऐसा दान,
जन्म दे करती है लालन पालन,
इसलिए माँ का देव तुल्य है स्थान।