पथिक guddu singh kundan
पथिक
guddu singh kundanएक पथिक की सुनो कहानी,
जीवन है, झरने का पानी,
रास्ता सरल हो या दुर्गम,
चलते जाओ तुम अपने पथ पर।
पथ हमेशा सरल नहीं होता,
कई कठिनाइयों से जूझना पड़ता,
काँटे-कंकर चुभते पाँव में,
वही रक्त विजय तिलक कहलाता।
कुछ पाना है तो खोना सीखो,
भूख -प्यास से लड़ना सीखो,
दृढ कर लो इरादों को,
बस में करलो इच्छाओं को।
नंगे पाँव बैशाख में झुलसते,
पीड़ा सहकर आगे बढ़ते,
वक्त कम है बढ़ते जाना,
कठिनाइयों से तुम जूझते जाना।
सहायता उसी को हाथ बढ़ाती,
जो मेहनत से चने चबाते,
उम्र बची है आगे बढ़ो,
डटकर तुम चट्टान से लड़ो।
पथ पर जब तुम चलते रहना,
अवगुणों से तुम दूर ही रहना,
ध्यान लगा कर आगे बढ़ना,
पीछे मुड़कर कभी न देखना।