चुनाव  ABHISHEK KUMAR GUPTA

चुनाव

ABHISHEK KUMAR GUPTA

आजकल रंग उनके बदलने लगे हैं
पहले से ज़्यादा वो नम्र होने लगे हैं,
मतलबी यार बनकर जो कल तक रहे
जाने कैसे वो अब सुधरने लगे हैं।
 

काम हो चाहे जो रहते हैं आगे वो
सबसे दिनभर सलामी वो करने लगे हैं,
आए ना कुछ समझ है ये क्या माजरा,
कैसे ऐसे चमत्कार होने लगे हैं।
 

रंग और रूप के संग सूरत हैं बदली,
कपड़े खद्दर के अब उनको भाने लगे हैं,
चाय की चुस्कियों संग चाय की दुकान पर
वो नेताओं के जैसे भाषण देने लगे है।
 

गाँव के कुछ निठ्ठलों को संग लेकर वो
सुबह शाम घर-घर वो जाने लगे हैं,
हरकतें देखकर उनकी लगने लगा
दिन चुनावों के नजदीक आने लगे हैं,
देश को लूट खाने का जज़्बा लिए
धीरे-धीरे से वो आगे बढ़ने लगे हैं।

अपने विचार साझा करें




5
ने पसंद किया
1200
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com