उसकी आवाज़ रोशन "अनुनाद"
उसकी आवाज़
रोशन "अनुनाद"बड़ा मुश्किल है जज़्बातों पर काबू पाना,
ज़ुबाँ खामोश तो, आँख छलक जाती है,
किसी ने सुनी न हो आवाज़ सिसकियों की,
पर सुना है बहुत दूर तलक जाती है।
जिगर से लगा कर रखा हो जिसे
कुछ तो दर्द होगा दूर करने में,
कितनी ईंट खप जाती हैं क्या पता
इक इमारत को मशहूर करने में।
उसकी आवाज़ सुनने को तरसता हूँ,
पर आवाज़ उसकी ही सुनाई देती है,
दिखती नहीं दूर तक फिर भी,
हर ओर वही दिखाई देती है।
पापा-पापा कह कर जैसे मुझे बुलाती है,
कहाँ है, दिखती नहीं, कितना रुलाती है।