कुमकुम Sugandha Tripathi
कुमकुम
Sugandha Tripathiमाथे पर कुमकुम सजा
हाथों में मेहंदी रचा,
मै आई पिया के द्वार
ख़ुशी मिली मुझे अपार।
नैनो में काजल बसा
होठों पर लाली खिला,
पिया के ही लिए
तो है ये रूप सिंगार।
प्रभु से है ये प्रार्थना
कुमकुम यूँ ही चमके,
माथे पर सदा मेरे
जब छोड़ूँ मैं ये संसार।