गाँव हमारे वापस दो  RATNA PANDEY

गाँव हमारे वापस दो

RATNA PANDEY

नहीं चाहिए शहर तुम्हारे गाँव हमारे वापस दो,
नहीं चाहिए ऊँची इमारतें खेत हमारे वापस दो।
नहीं उगेंगी फसलें गर तो पेट को कैसे समझाओगे?
ऊँची इमारत के अंदर क्या तुम भूखे ही सो जाओगे?
निकल नहीं पाओगे घर से तब फेफड़ों को कैसे बचाओगे?
नहीं चाहिए प्रदूषण इतना हमें शुद्ध हवा में जीने दो,
नहीं चाहिए शहर तुम्हारे गाँव हमारे वापस दो।
 

छोटे गाँव में हम बसते हैं किन्तु
संग साथ सब को लेकर चलते हैं,
एकाकी जीवन तुम्हारा कितना नीरस लगता है,
जीवन की आपाधापी में सारा वक़्त गुजरता है।
नन्हें सुकुमारों का जीवन भी
जहाँ आया की गोदी में पलता हो,
नहीं चाहिए ऐसा जीवन हमें गाँवों में ही रहने दो,
नहीं चाहिए शहर तुम्हारे गाँव हमारे वापस दो।
 

रूखा सूखा शहर तुम्हारा ना झरनों का बहना,
नहीं सुनाई देता आँगन में पंछियों का चहकना,
काट-काट कर वृक्षों को हरियाली का घटना,
संभव है जीवन का अल्पायु में ही सिमटना।
जो कुछ तुमने नष्ट किया
उसकी पुनः प्राप्ति नहीं हो पाएगी,
प्रकृति पर जो प्रहार किया
वह सहन नहीं कर पाएगी,
और चाहकर भी भविष्य में वह हमारी
संतानों को बचा नहीं पाएगी,
इसलिए मैं कहती हूँ
नहीं चाहिए शहर तुम्हारे गाँव हमारे वापस दो।
 

प्रगति चाहिए सबको ही
किन्तु प्रकृति का नाश ना होने दो,
स्वस्थ जीवन और दीर्घायु गर चाहिए
तो प्रकृति को देवतुल्य ही रहने दो,
नहीं चाहिए शहर तुम्हारे गाँव हमारे वापस दो।

अपने विचार साझा करें




2
ने पसंद किया
1480
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com