रिश्ता बेटी का RATNA PANDEY
रिश्ता बेटी का
RATNA PANDEYछोड़ कर सारे रिश्ते नाते
दुल्हन गृह प्रवेश क़र जब आती है,
अल्ता से रंगे लाल रंग की
छाप घर में बन जाती है,
आगमन से दुल्हन के घर में
चार चाँद लग जाते हैं,
ढोल नगाड़े से स्वागत कर
नई बेटी को घर में लाते हैं।
प्यार की उम्मीदों से भरा
दिल साथ वह लेकर आती है,
सज संवर कर रहती हरदम
घर को भी सजाती है,
नहीं रिश्ता ख़ून का होता
फ़िर भी ताउम्र साथ निभाती है,
बिना जन्म लिए ही यहाँ
बेटी घर की बन जाती है।
एक माता-पिता को छोड़ आई थी
दूसरे यहाँ मिल जाते हैं,
दो परिवारों का प्यार समेटकर
प्यार भरा गुलदस्ता वह बन जाती है,
अपनी प्यार की पंखुड़ियों से
दोनों परिवारों को महकाती है।
शादी के बंधन में बंधकर रिश्ता
ख़ून और प्यार का दोनों वह निभाती है,
प्यार, त्याग और बलिदान की
मूरत वह कहलाती है,
बेटी तो बेटी होती है
घर को स्वर्ग बनाती है,
बेटी तो बेटी होती है
घर की लक्ष्मी वह कहलाती है।
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जो नई नवेली दुल्हन घर में आती है वह भी हमारी बेटी ही होती है भले ही उसका जन्म नहीं इस घर में न हुआ हो। वह अपनी सारी उम्र इस परिवार को दे देती है और दोनों परिवारों को अपनी ख़ुश्बू से महकाती है। अपनी कविता के माध्यम से मैंने यही बात स्पष्ट करने का प्रयास किया है।