मोहब्बत : एक अद्भुत एहसास Deeksha Dwivedi
मोहब्बत : एक अद्भुत एहसास
Deeksha Dwivediमोहब्बत से मधुर जग में
कोई एहसास क्या होगा,
प्रेम से हो अधिक उज्ज्वल
भला वो प्रकाश क्या होगा।
मेरी धुन में शब्द तुझसे,
मेरे गीतों में लय तुझसे,
मेरा हंसना, मेरा रोना,
मेरा जीना है तय तुझसे,
मेरा आगाज़ तुझसे है,
तेरे बिन आज क्या होगा।
बोल मेरे बात तेरी
मेरी कविता का माध्यम है,
ये शब्दों का नहीं बंधन,
दो प्रीतों का ये संगम है,
तेरा ना जिक्र हो जिसमें,
मेरा वो साज़ क्या होगा।
रहे महफ़िल भले कितनी
मेरा संसार तुझसे है,
है तू ही तो मेरा गौरव
मेरा सत्कार तुझसे है,
जो तू ना संग हो मेरे
भला फिर पास क्या होगा,
मोहब्बत से मधुर जग में
कोई एहसास क्या होगा।