दो बहनें Tanusha Sharma
दो बहनें
Tanusha Sharmaएक मैं यहाँ हूँ, एक तू वहाँ है,
अब बस यादों का सिलसिला है।
जब छोटे थे क्या जमाना था,
वह मस्तियों का फसाना था,
दादी की कहानियाँ थीं,
परियों का फसाना था।
अब मुश्किलों का अफसाना है,
जो एक दूसरे को सुनाना है।
तब पिज़्ज़ा बर्गर की ख्वाहिश थी,
किस को ज्यादा मिला उस पर नाराज़गी थी,
मैगी फेवरेट फूड हुआ करता था,
पापा के लाख मना करने पर छुप-छुप के खाना था।
अब माँ के खाने को तरसते हैं,
कब मिले दिन गिनते रहते हैं।
तब पापा का रोज़ सुबह जगाना था,
साइकिल सिखाने जो ले जाना था,
चोट लगने पर पापा का हल्का-हल्का फूंकना
ही सबसे बड़ा मरहम था,
अब काम पर जाना है तो सोचकर नींद खुल जाती है,
कहाँ गया वह ज़माना याद बहुत आता है।
तब किसी से जब स्कूल में झगड़ा होता था,
तो तेरा मुझे मम्मी पापा की डांट से बचाना था,
और अगर ऐसा ना हुआ तो मेरा तुम्हें आँख दिखाना था,
बदले में रात को बिस्तर से गिराना था।
अब हम दोनों अपनी-अपनी गृहस्थी में हैं,
शादी करके लगता है कितने बड़े हो गए हैं,
हम दोनों बहनें कितनी ही दूर क्यों न हैं,
पर दिल में एक-दूसरे के बहुत-बहुत करीब हैं।