व्यथा ईश्वर की Satyam Tripathi
व्यथा ईश्वर की
Satyam Tripathiआज रुदन करता है ईश्वर करके मनुज सृजन,
हाय! बनाया था क्यों, हो गई सब योजना विफल।
लोभ मोह मद से लबरेज सभी बैठे हैं कामी,
पापी, अत्याचारी भये सभी कुमारग गामी।
अबला पर ये पौरुष दिखलाते, नर हो कर हैं नर को खाते।
आज बैकुंठ पड़ा है खाली, नरक के बाहर भीड़ निराली।
आखिर कब सुधरेगा इंसान, कब छोड़ेगा करना बुरे काम,
बढ़ चली सृष्टि प्रलय की ओर, चहुँओर मचा है हाहाकार घनघोर।