बेवफाई-ए-मुहब्बत Tushar Laad
बेवफाई-ए-मुहब्बत
Tushar Laadक्यों हो खुदगर्ज़ तुम इतनी
क्या याद नहीं वो बातें कितनी,
छोटा सा था कर्ज़ तुम पर
न छोड़ना हमको कभी,
छोटा सा था फ़र्ज़ हमारा
न दूर होना तुमसे कभी।
वादे किए कितने सारे
फिर भी हम बेवफाई से हारे,
कसमें खाई कितनी सारी
फिर भी तुम ना हो पाई हमारी।
विश्वास कैसे कर लें असलियत का,
अतीत तो कुछ और ही सपने दिखा रहा है,
हर पल यह मन
हमें तुम्हारा स्मरण करा रहा है।
भरोसा किया तुम पर
लड़ लिए हम सबसे,
लेकिन अकेले रह गए
वचन जो तोड़ा तुमने।
चाहते तो हम भी वादे तोड़ देते,
पर हमने दिल दुखाना नहीं सीखा,
तुम्हें इससे अधिक खुश
हमने पहले कभी न देखा।
जान जा रही लेकिन तुम्हें है ना कोई खबर,
इंतज़ार में हम खो चुके सारा सबर,
ऐसी घड़ी आएगी ना सोच था कभी,
आँसू भी नहीं कर पा रहे महसूस अभी।
लोगों ने बहुत बहकाया लेकिन हमने उनकी एक न सुनी,
तुम्हारी मोहब्बत के भरोसे हमने सबसे दुश्मनी चुनी,
सारे नाते तोड़े तुमसे रिश्ता बनाने के लिए,
सारी रातें खोई तुम्हारे सपने सजाने के लिए।
हाथ तो तुमने हमारा थामा था हम तो बस एक मुसाफिर थे,
ज़रूरत थी तुम्हें जब भी हमारी
हम सदा तुम्हारे लिए हाज़िर थे,
बनाया तुमको जान हमारी
बनाया तुमको अभिमान हमारा,
क्यों फिर हमें तड़पा रही हो
सब कुछ नष्ट कर रहा यह तूफान तुम्हारा।
सुना दो हमें सज़ा-ए-मौत
बेवफाई सही नहीं जा रही,
चक्रवात से लड़ लिए हम
लेकिन कपट की आग
हर पल हमारे करीब आ रही।
अब भी है आशा आओगी वापस तुम कभी,
है यह अभिलाषा वादे पूरे करोगी तुम कभी,
उस वक्त कैसे कर पाएँगे भरोसा तुम पर,
क्या तुम फिर बरसा पाओगी प्यार हम पर?
क्यों हम फिर से सजा रहे हैं ख्वाब तुम्हारे,
तुमने तो कबका मुँह मोड़ लिया हमसे,
ढूँढोगी जितने भी नवाब सयाने,
कोई न प्यार करेगा अधिक हमसे।
कैसा है यह मायाजाल
अनंत है यह संसार,
लेकिन अगर मिल जाए कोई हम सा
तो मत लाना अपने मन मे बेवफाई का खयाल।
एक और बार गुज़रते है यादों से तुम्हारी,
एक और बार समझते हैं बातों को तुम्हारी,
कहीं हो ना गई हो हमसे ही कोई भूल,
हम क्यों बन गए तुम्हारी आँखों की धूल।
नगमों में सिमट गई है स्मृति तुम्हारी,
अधूरी रह गई प्रेम कहानी हमारी,
कोहरे में छिप रही है सूरत तुम्हारी,
नहीं समझ पा रहे नीयत तुम्हारी।
कैसा है यह असमंजस का पल,
अंधेरे में झलक रहा हमारा कल,
हाथ थाम लो फिर से हमारा,
कर दो दोबारा जीवन में उजाला।
वासना रखेंगे स्वयं नहीं खोएँगे संयम,
जब तक रहेगा यह विश्व कायम,
दूरी चाहे कितनी भी बढे,
मीनारें चाहे अनंत तने,
सदा रहेगा यही प्रयत्न,
करीब आकर तुम्हारे खड़े।